
कश्मीर की ‘खरगोश लड़की’ ने आतंकी हमले के दर्दनाक मंजर का किया जिक्र
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के बैसरन घाटी में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले ने वहां की शांति और सुंदरता को बुरी तरह से हिलाकर रख दिया। आतंकवादियों द्वारा गोलियों की बौछार में 26 लोगों ने जान गंवा दी और पूरा इलाका दहशत में डूब गया। इस भयावह स्थिति में दो बहनों रुबीना (14) और मुमताजा (16) ने पर्यटकों को आश्रय देने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल दी।
बयां किया 22 अप्रैल का खौफनाक मंजर
रुबीना, जिसे कश्मीर की ‘खरगोश लड़की’ के नाम से जाना जाता है, अपने प्यारे पालतू खरगोश के साथ पर्यटकों को आकर्षित करती है। पर्यटकों को अपने प्यारे पालतू जानवरों के साथ पोज देकर कुछ रुपये कमाती है। 22 अप्रैल के दिन भी वह अपने पालतू जानवरों के साथ घाटी की सुंदरता में घुली हुई थी, अचानक चीख-पुकार और गोलियों की आवाज ने वहां की शांति को भंग कर दिया। पर्यटक, महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग सभी जान बचाने के लिए पहाड़ी रास्तों से दौड़ रहे थे। इस मुश्किल घड़ी में रुबीना और मुमताज़ा ने अपने घर से बाहर आकर उन घबराए हुए लोगों को सहायता दी, जिन्हें तुरंत सुरक्षा और आश्रय की जरूरत थी।
रुबीना ने इंडिया टीवी से बातचीत में कहा, “मैंने उन्हें भागते और मदद के लिए चिल्लाते देखा। वे चिल्ला रहे थे- हमारे बच्चों को बचाओ…।” रुबीना ने बताया कि जब वह उस दिन को याद करती है तो उसकी आवाज कांपती है। कुछ लोग तो कीचड़ में फंसे हुए थे और वे बस छिपने की जगह तलाश कर रहे थे।
कश्मीर की ‘खरगोश लड़की’ रुबीना
बच्चों को कंधे पर उठाकर भागी रुबीना
रुबीना ने बताया, “मैंने उन्हें देखा और दो बच्चों को अपने कंधों पर उठाकर सुरक्षित जगह की ओर भागी। महिलाओं और बच्चों सहित दर्जनों पर्यटक लगभग आधे घंटे तक हमारे घर में रहे। हमने उन्हें पानी उपलब्ध कराया। वे डर से कांप रहे थे, अपने प्रियजनों का इंतजार कर रहे थे, जो शायद अभी भी हमले के क्षेत्र में फंसे हो सकते थे। जल्दी से सोच-समझकर और अपनी सुरक्षा की परवाह किए बिना रुबीना और मुमताज़ा ने डरे हुए पर्यटकों का अपने निवास में बुलाया।”
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