चिलकुर बालाजी मंदिर के मुख्य पुजारी
हैदराबाद स्थित चिलकुर बालाजी मंदिर के मुख्य पुजारी रंगराजन ने आरोप लगाया है कि ‘राम राज्य’ स्थापित करने की मांग कर रहे कुछ लोगों ने उन पर हमला किया। 7 फरवरी को हुए हमले के बाद पुलिस ने 5 और लोगों को गिरफ्तार किया है। मुख्य पुजारी के पिता और मंदिर संरक्षण आंदोलन के संयोजक एमवी सुंदरराजन ने कहा कि इस हमले के पीछे एक ग्रुप का हाथ है। यह ग्रुप एक निजी सेना बनाकर ‘राम राज्य’ का अपना संस्करण स्थापित करने की बात करता है और मिशन या एजेंडे को स्वीकार न करने वालों को दंडित करने की बात करता है।
आरोपी ने ‘राम राज्यम’ संगठन का किया गठन
चिलकुर बालाजी मंदिर के मुख्य पुजारी सीएस रंगराजन पर हमला करने के आरोप में तेलंगाना की साइबराबाद पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए वीरा राघव रेड्डी ने एक संगठन ‘राम राज्यम’ का गठन किया था, जो कमोबेश एक समानांतर सरकार के रूप में काम करने वाला था।
राघव रेड्डी ने नवंबर 2022 के महीने में गांडीपेट सब रजिस्ट्रार कार्यालय में “कोसलेंद्र ट्रस्ट” नाम से अपना संगठन पंजीकृत किया, जिसका पंजीकृत पता हाउस नंबर 8-1-293/ए, एचएस दरगा, शेखपेट, हैदराबाद – 500104, (पुराना पिन-कोड – 500008) है।
‘राम राज्यम’ नाम से बनाया यूट्यूब चैनल
- आरोपी वीर राघव रेड्डी ने 2022 में ‘राम राज्यम’ नाम से एक यूट्यूब चैनल बनाया। इस चैनल के जरिए वो लोगों से हिंदू धर्म की रक्षा के लिए ‘राम राज्यम सेना’ में शामिल होने की अपील करता था। उसने ये भी घोषणा की थी, कि जो भी सितंबर 2024 से 31 दिसंबर 2024 के बीच संगठन में शामिल होगा उसे ₹20,000 मासिक वेतन के साथ भर्ती किया जाएगा।
- संगठन की संरचना भगवद गीता अध्याय 4-7 और 8 और 18-17 और 43 के तहत भारत के संविधान के अनुच्छेद 48 और अनुच्छेद 361 (राजप्रमुख) के अनुसार कार्य करना और गतिविधियों को अंजाम देना है। उनके प्राथमिक कर्तव्य धर्म की स्थापना (अपराधियों को दंड देना, निर्दोषों की सुरक्षा, गौरक्षा अर्थात अवैध वध से गायों की सुरक्षा) और शासकों के माध्यम से सेना का गठन करना था। वह रामराज्यम सेना, कानूनी सहायता दल, गौरक्षा दल और आंतरिक रणनीतिक दल बनाने की तैयारी में थे।
- राघव रेड्डी द्वारा बनाई गई वेबसाइट में कहा गया है कि “वर्तमान आपराधिक न्याय प्रणाली, बुरी-अनुशासित है और केवल धनी अपराधियों का बचाव कर रही है और इस प्रक्रिया में कोई धर्म नहीं दिखता है। कोई भी व्यक्ति जो मुकदमेबाज़ को फीस देता है और अदालत के चक्कर लगाता है, वह कभी उम्मीद नहीं कर सकता कि उसे कभी न्याय मिलेगा। पुराने समय में हिरण्य-कश्यप और रावण के पास इनाम और सुरक्षा कवच थे।”
- इसमें न्यायपालिका को दोषी ठहराया गया है और दावा किया गया है कि “अब न्यायाधीश और पुलिस आईपीसी की धारा 77, न्यायाधीश संरक्षण अधिनियम, सीआरपीसी की धारा 197 और भारत के संविधान के अनुच्छेद 124 (4) का इस्तेमाल जघन्य अपराध करने के लिए सुरक्षा कवच के रूप में कर रहे हैं।” इसमें आगे कहा गया है कि “श्री हरि के साक्षी के रूप में, जिन्होंने रावण और हिरण्य-कश्यप के वरदानों के सुरक्षा कवच को तोड़ दिया, वर्तमान समय में जब न्याय/पुलिस व्यवस्था कानून की रक्षा और बुराई की सेवा में बाधा बन गई है, “राम राज्यम” धर्म की स्थापना सुनिश्चित करेगा और उन लोगों के साथ खड़ा होगा जो वर्तमान बुरी व्यवस्था के शिकार हुए हैं।”
- इसने संगठन चलाने के लिए जनता से दान मांगा तथा स्वयंसेवकों का पंजीकरण आमंत्रित किया। जब यह सब हो रहा था, पुलिस ने संगठन के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की तथा इसे धार्मिक गतिविधियों और गौरक्षा को बढ़ावा देने वाले एक अन्य धार्मिक समूह के रूप में हल्के में लिया।
चिलकुर बालाजी मंदिर के पुजारी पर हमले से व्यापक चिंता
चिलकुर बालाजी मंदिर के मुख्य पुजारी सीएस रंगास्वामी पर हमले के बाद यह समूह अचानक प्रसिद्धि या बदनामी की ओर बढ़ गया। मुख्य पुजारी ने पुलिस से शिकायत की कि उन्हें इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि उन्होंने संगठन को वित्तीय सहायता देने और इसे बढ़ावा देने से मना कर दिया और उन्होंने कहां था कि वो संविधान के तहत हिंदू धर्म की रक्षा करेंगे।
