
सुसाइड ड्रोन
भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर देर रात 9 हमले किए हैं, जिसमें कई आतंकी मारे गए हैं। इस हमले के साथ ही भारत ने पिछले महीने पहलगाम में हुए आतंकी हमला का बदला ले लिया है। भारतीय सेना ने इसे ऑपरेशन सिंदूर का नाम दिया है। इस ऑपरेशन को सेना के तीनों अंगों- आर्मी, एयरफोर्स और नेवी ने मिलकर अंजाम दिया है। भारतीय सेना ने हमले के बाद अपने बयान में कहा कि यह हमला भारत की सरजमीं से अंजाम दिया गया है और इसमें पाकिस्तान से ऑपरेट होने वाले आतंकी ठिकानों को टारगेट किया गया है। भारत ने इस ऑपरेशन में आत्मघाती या कामिकेज ड्रोन का इस्तेमाल किया है, जो छिपकर अपने टारगेट को तबाह कर सकते हैं।
क्या होते हैं आत्मघाती ड्रोन?
आत्मघाती ड्रोन को LMS यानी Loitering Munition Systems ड्रोन या सुसाइड या कामिकेज ड्रोन भी कहा जाता है। ये हथियार ले जाने वाला ऐसा ड्रोन है, जिसे घूमते रहने के लिए डिजाइन किया गया है। यह तब तक घूमता रहता है, जब तक कि कोई लक्ष्य निर्धारित न हो जाए। टारगेट सेट होने के बाद ये ड्रोन फट जाते हैं।
इस ड्रोन की खास बात यह है कि ये छिपे रहकर टारगेट के विरुद्ध हमला करने में सक्षम होते हैं। ये कम समय के लिए उभरते हैं और बिना किसी उच्च वैल्यू के युद्ध सामग्री के इस्तेमाल के टारगेट भेद सकते हैं। इन आत्मघाती ड्रोन की उड़ान को बीच में बदला या निरस्त भी किया जा सकता है।
कब से हो रहे इस्तेमाल?
LMS या आत्मघाती विस्फोटक ले जाने वाले ये ड्रोन सबसे पहले 1980 में आस्तित्व में आए। इन्हें सप्रेशन ऑफ एनिमी एयर डिफेंस (SEAD) के तौर पर इस्तेमाल किया गया था। 1990 के दशक में कई आर्मी ने इन आत्मघाती ड्रोन को इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था। 2000 की दशक के शुरुआत में इन आत्मघाती ड्रोन की भूमिका को बढ़ा दिया गया। ये अब लंबी दूरी के हमलों के लिए तैयार हो गए। इन ड्रोन की साइज इतनी कम होती है कि इन्हें आसानी से बैकपैक में भी फिट किया जा सकता है।
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