
ऑपरेशन सिंदूर।
भारतीयों का जोश आज एक बार फिर भारतीय सेना ने हाई कर दिया है। ऑपरेशन सिंदूर की चर्चा लगातार हो रही है। भारत ने पाकिस्तान और पीओके पर मिसाइल हमला किया है, जिसमें कई आतंकी ठिकानों को ढेर किया गया है। इस एयर स्ट्राइक में कई आतंकियों के मारे जाने की बात सामने आ रही है। 7 मई को पाकिस्तान और पाकिस्तानी अधिकृत कश्मीर जोरदार धमाकों से गूंज उठा। इस जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान के 9 ठिकानों पर हमला किया गया है। ये सभी आतंकी ठिकाने हैं। सामने आई जानकारी में ये भी कहा जा रहा है कि लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी ठिकाने भी धाराशायी कर दिए गए हैं।
यहीं से किया जाता था कत्लेआम
ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारतीय सेना ने बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद के ट्रेनिंग कैंप पर मिसाइल से हमला किया है। ये वही जगह जहां पर आतंकियों को पाला-पोसा जाता है और यहीं से कश्मीर में कत्लेआम की कहानी रची जाती है। कश्मीर में तबाही मचाने वाले आतंकी इसी जगह ट्रेन किए जाते हैं। बहावलपुर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में आता है और यहीं पर आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का हेडक्वार्टर भी है। ऐसे में कई भारत में अंजाम दी जाने वाली कई आतंकी गतिविधियों की प्लानिंग यहीं बैठ कर होती है।
चैरिटी की आड़ में होती थी आतंकियों की भर्ती
बहावलपुर में एक मस्जिद आतंकी ट्रेनिंग सेंटर बनाया गया था। जैश इस जगह पर ही कई आतंकियों को तैयार कर रहा था। कहा जा रहा है कि जब भारत ने पहलगाम हमले का बदला लेने की ठानी तो आतंकियों को यहां से कुछ दिनों के लिए शिफ्ट किया गया था, लेकिन कुछ दिनों बाद ही ये वापस लौट आए थे। उन्हें इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि भारत इसी जगह पर अटैक करेगा और उनकी आंखों में धूल झोंकने की स्ट्रैटेजी पूरी तरह से फेल हो जाएगी। वैसे जैश-ए-मोहम्मद ने बहावलपुर में साल 2000 में हेडक्वार्टर स्थापित किया था। ये टेरर कैंप अल-रहमत ट्रस्ट के जरिए चलाया जा रहा था जो एक फ्रंट संगठन है। कहने के लिए ये चैरिटी का काम करता है, लेकिन इसकी आड़ में इसका मेन मकसद आतंकियों को ट्रेनिंग देना है।
आखिरी बार कब देखा गया मसूद अजहर
बता दें, जैश-ए-मोहम्मद को मसूद अजहर ने बनाया था और लगातार आतंकियों को यहां तैयार कर पाकिस्तान से कश्मीर भेजा जा रहा था। साल 2019 में पेशावर में एक विस्फोट हुआ था, जिसके बाद से ही मसूद अजहर गायब हो गया, लेकिन साल 2024 में वो फिर एक बार देखा गया। इसके बाद से ही कहा जा रहा है कि कुछ खतरनाक वारदात को अंजाम देने के इरादे से वो बाहर आया है। जैश-ए-मोहम्मद बहावलपुर कैंप को आतंकियों की भर्ती और फंडरेजिंग के लिए लंबे समय से इस्तेमाल कर रहा है।
यहीं कई गई दो बड़ी प्लानिंग
पहले यहां पर आतंकियों की भर्ती की जाती है और फिर इन्हें आगे की ट्रेनिंग के लिए खैबर पख्तूनख्वा और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में अलग-अलग ट्रेनिंग कैंप्स में भेजा जाता था। इस कैंप में ही भारत में हुए कई बड़े हमलों की योजना बनाई गई है। इसमें साल 2001 का भारतीय संसद हमला भी शामिल है और इसके अलावा साल 2019 का पुलवामा हमला भी यहीं प्लान किया गया था। डेमियन साइमन की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान को एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर किया गया था और इसके बाद से ही कैंप का लगातार विस्तार हो रहा था।
