
सांकेतिक तस्वीर
हैदराबादः सीबीआई कोर्ट ने ओबुलापुरम खनन मामले में पूर्व राज्य मंत्री सबिता इंद्र रेड्डी और पूर्व नौकरशाह बी कृपानंदम को बरी कर दिया है। इस मामले में 5 आरोपियों को सजा सुनाई गई है। बी.वी. श्रीनिवास रेड्डी, भाजपा विधायक जी. जनार्दन रेड्डी, वी.डी. राजगोपाल, ओबुलापुरम माइनिंग कंपनी प्राइवेट लिमिटेड और अली खान को सीबीआई कोर्ट ने सजा सुनाई है।
सात साल जेल की सजा
जानकारी के अनुसार, हैदराबाद की एक विशेष सीबीआई अदालत ने आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में लौह अयस्क खनन में अनियमितताओं से संबंधित हाई-प्रोफाइल ओबुलापुरम माइनिंग कंपनी (ओएमसी) अवैध खनन मामले में जनार्दन रेड्डी और बी.वी. श्रीनिवास रेड्डी को अवैध खनन गतिविधियों में उनकी भूमिका के लिए सात साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई।
13 साल से अधिक चला मुकदमा
अदालत ने पूर्व मंत्री सबिता इंद्र रेड्डी और सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी बी. कृपानंदम को बरी कर दिया, क्योंकि मामले में उनकी संलिप्तता साबित करने के लिए उनके खिलाफ कोई पर्याप्त सबूत नहीं पाए गए। तेलंगाना हाई कोर्ट ने 2022 में आईएएस अधिकारी श्री लक्ष्मी को मामले से मुक्त कर दिया था। 13 वर्षों से अधिक समय तक चले इस मुकदमे में 3,400 दस्तावेज और 219 गवाहों पेश किए। जिसमें सीबीआई ने आरोप लगाया कि रेड्डी के नेतृत्व में ओएमसी ने कर्नाटक की वन भूमि सहित लीज क्षेत्रों से परे अवैध रूप से लौह अयस्क का खनन किया, जिसके परिणामस्वरूप राज्य को 884.13 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
यह मामला 2009 का है और इस मामले के आरोपियों पर आईपीसी की धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 420 (धोखाधड़ी), 409 (आपराधिक विश्वासघात), 468 और 471 (जालसाजी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(2) और 13(1)(डी) के तहत आरोप लगाए गए थे।
ऊपरी कोर्ट में अपील करेगा बचावपक्ष
वहीं, बचाव पक्ष के वकील वेंकटेश्वर राव ने कहा कि यह भी राजनीति से प्रेरित मामला है…ऐसा कोई मामला ही नहीं है। हमारे पास अपील में सफल होने के अच्छे आधार हैं। कल या परसों हम अदालत में अपील दायर करेंगे।
