
वायरल दावा निकला भ्रामक
सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म में कई तरह के वीडियो और फोटो वायरल होते हैं। इनमें से कई वीडियो भ्रामक और गलत दावों के साथ अपलोड और शेयर किए जाते हैं। इंडिया टीवी की फैक्ट चेक टीम ऐसे ही वीडियो और फोटो की सत्यता की जांच करती है।
क्या हो रहा वायरल?
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें पुलिसकर्मी एक व्यक्ति को घसीटते हुए ले जाते नजर आ रहे हैं। एक्स यूजर वीडियो को हालिया बताकर इसे पहलगाम आतंकी हमले से जोड़ रहे हैं। सत्या (Satya) नाम का एक्स यूजर वीडियो को अपलोड करते हुए कैप्शन में लिखा, ‘कश्मीर के स्थानीय नेताओं को आतंकवादियों का साथ देने के लिए पकड़ कर ले जाया जा रहा है।’ यूजर द्वारा ये वीडियो 24 अप्रैल 2025 को एक्स पर अपलोड किया गया है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर वायरल वीडियो
नवंबर 2024 को सामने आया था ये वीडियो
वायरल दावे की सच्चाई जानने के लिए वीडियो को ध्यान से देखा गया। इसमें ‘Jammu Links News’ नाम का वाटरमार्क पाया गया। इसके बाद वीडियो के की-फ्रेम्स को रिवर्स इमेज सर्च के जरिए जांचा गया। इस दौरान यह वीडियो ‘Jammu Links News’ नाम के यूट्यूब चैनल पर मिला, जहां इसे 27 नवंबर 2024 को पब्लिश किया गया था।
पिछले साल नवंबर महीने में अपलोड किया गया वीडियो
रोपवे लाइन के खिलाफ प्रदर्शन का है वीडियो
वीडियो के विवरण में बताया गया है, जम्मू के कटरा में श्रमिक संघ के दो नेताओं को गिरफ्तार किया गया। यह गिरफ्तारी तब हुई जब व्यापारियों और पुलिस के बीच हिंसक झड़पें हुईं। व्यापारी समूह ने कटरा शहर से वैष्णो देवी मंदिर तक प्रस्तावित रोपवे लाइन के खिलाफ प्रदर्शन किया था।
दो यूनियन नेताओं को किया गया था गिरफ्तार
वायरल दावे का सच जानने के बाद संबंधित कीवर्ड से सर्च किया गया। इस दौरान Greater Kashmir पर 27 नवंबर 2024 को प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली। यहां पर वायरल विजुअल भी मौजूद था। ‘Greater Kashmir’ की रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू में प्रस्तावित रोपवे लाइन के विरोध में व्यापारियों और पुलिस के बीच हुई झड़पों के बाद दो मजदूर यूनियन नेताओं को गिरफ्तार किया गया। यह रोपवे कटरा शहर से वैष्णो देवी मंदिर तक प्रस्तावित था।
ग्रेटर कश्मीर में छपी रिपोर्ट
वायरल दावा है भ्रामक
जांच में पाया गया कि इस वीडियो का पहलगाम आतंकी हमले से कोई संबंध नहीं है। यह वीडियो नवंबर 2024 का है, जब प्रस्तावित रोपवे प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे स्थानीय नेताओं और मजदूर यूनियन के प्रतिनिधियों को पुलिस ने हिरासत में लिया था। फैक्ट चेक की जांच में वायरल दावा भ्रामक पाया गया है।
