
अर्जुन टैंक पाकिस्तानी सेना में खौफ भरने के लिए काफी है।
नई दिल्ली: जम्मू एवं कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच भारी तनाव है। पाकिस्तान की पूरी कोशिश है कि जंग किसी तरह टल जाए जबकि भारत ने आतंकवादियों और उनको पनाह देने वालों को बर्बाद करने की कसम खाई है। दरअसल, आज के हालात में पाकिस्तान किसी भी तरह लड़ाई में भारत के सामने नहीं टिक सकता। पाकिस्तान ने भारत का मुकाबला करने के लिए चीन से 40 VT-4 टैंक मंगाए हैं। माना जा रहा है कि पाकिस्तान को भारत के अर्जुन टैंक से डर लग रहा है, और इसकी वजह भी है।
DRDO ने बनाया है अर्जुन टैंक
बता दें कि अर्जुन टैंक को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानी कि DRDO ने विकसित किया है। यह एक तीसरी पीढ़ी का मुख्य युद्धक टैंक (MBT) है। इसका नाम महाभारत के पात्र अर्जुन से प्रेरित है। यह टैंक अपनी उन्नत तकनीक, मारक क्षमता और मजबूत सुरक्षा के लिए जाना जाता है, और ये दुश्मन को बर्बाद करने के लिए काफी है। हाल के वर्षों में भारत ने अर्जुन टैंक के उन्नत संस्करण, अर्जुन MK-1A को सेना में शामिल करने की योजना बनाई है, जिससे पाकिस्तान की बेचैनी और बढ़ गई है। आइए, जानते हैं कि अर्जुन टैंक की क्या खासियतें हैं और यह पाकिस्तान के लिए क्यों खतरा है।
क्या हैं अर्जुन टैंक की खासियतें?
अर्जुन टैंक को भारतीय सेना के लिए खास तौर पर डिजाइन किया गया है, जो इसे युद्ध के मैदान में घातक बनाता है। इसकी प्रमुख विशेषताएं हैं:
- शक्तिशाली हथियार प्रणाली: अर्जुन में 120 मिमी की राइफल्ड गन है, जो स्वदेशी आर्मर-पियर्सिंग फिन-स्टेबलाइज्ड डिस्कार्डिंग-सैबोट (FSAPDS) और हाई-एक्सप्लोसिव स्क्वैश हेड (HESH) गोले दाग सकती है। यह दुश्मन के टैंकों को आसानी से नष्ट कर सकती है। इसके साथ ही 7.62 मिमी को-एक्सियल मशीन गन और 12.7 मिमी एंटी-एयरक्राफ्ट मशीन गन इसे बहुमुखी बनाती हैं। MK-1A में मिसाइल फायर करने की क्षमता भी जोड़ी गई है, जो इसे और घातक बनाती है।
- मजबूत कंचन आर्मर: अर्जुन का कंचन मॉड्यूलर कंपोजिट आर्मर इसे चारों तरफ से एंटी-टैंक हथियारों से बचाता है। यह आर्मर तीसरी पीढ़ी के टैंकों के मुकाबले ज्यादा प्रभावी है और ग्रेनेड, मिसाइलों व रासायनिक हमलों से सुरक्षा देता है।
- उन्नत फायर कंट्रोल सिस्टम: अर्जुन में कंप्यूटराइज्ड फायर कंट्रोल सिस्टम (FCS) है, जो दिन-रात और हर मौसम में सटीक निशाना लगाने में सक्षम है। थर्मल साइट्स और लेजर रेंजफाइंडर इसे रात में भी प्रभावी बनाते हैं, जो पाकिस्तानी टैंकों में कम देखने को मिलता है।
- ऊबड़-खाबड़ इलाकों में भी तेज स्पीड: 1400 हॉर्सपावर का MTU डीजल इंजन अर्जुन को 70 किमी/घंटा (हाइवे) और 40 किमी/घंटा (क्रॉस-कंट्री) की गति देता है। हाइड्रोप न्यूमैटिक सस्पेंशन इसे ऊबड़-खाबड़ इलाकों में स्थिर रखता है। यह भारत-पाक सीमा के रेगिस्तानी और मैदानी क्षेत्रों में प्रभावी है।
- स्वदेशी तकनीक: अर्जुन MK-1A में 54.3% स्वदेशी उपकरण हैं, जो पिछले MK-1 के 41% से ज्यादा है। यह मेक इन इंडिया का प्रतीक है। रासायनिक हमलों के लिए सेंसर, माइन-स्वीपिंग क्षमता और ऑटोमैटिक फायर सप्रेशन सिस्टम इसे आधुनिक बनाते हैं।
अर्जुन टैंक कई खासियतों से लैस है।
पाकिस्तान पर क्यों छाया है खौफ?
पाकिस्तान की चिंता का कारण अर्जुन की तकनीकी श्रेष्ठता और भारत की रणनीतिक तैयारी है। पहला, अर्जुन का कंचन आर्मर और उन्नत फायर कंट्रोल सिस्टम इसे पाकिस्तान के VT-4 और अल-खालिद टैंकों से बेहतर बनाता है। VT-4 में एक्टिव प्रोटेक्शन सिस्टम (APS) है, लेकिन अर्जुन का FSAPDS गोला और नाग मिसाइलें इन टैंकों को आसानी से भेद सकती हैं। यह टैंक भारत की जमीनी ताकत को बढ़ाने में सक्षम है। साथ ही भारत की स्वदेशी विभव एंटी-टैंक माइंस और नाग मिसाइलें पाकिस्तानी टैंकों को आगे बढ़ने से रोक सकती हैं। अर्जुन टैंक की युद्ध के मैदान में माइन-स्वीपिंग क्षमता पाकिस्तान के लिए बहुत बड़ा खतरा है।
T-90 और T-72 टैंक भी हैं सामने
भारतीय सेना के T-90 और T-72 टैंकों की ताकत भी पाकिस्तान के लिए बड़ा खतरा है। T-90 भीष्म टैंक 125 मिमी स्मूथबोर गन और रिफ्लेक्स मिसाइलों से लैस है और यह पाकिस्तानी VT-4 और अल-खालिद टैंकों को आसानी से भेद सकता है। इसका उन्नत कवच और फायर कंट्रोल सिस्टम रात-दिन सटीक मार करता है। दूसरी ओर, T-72 अजेय टैंक 125 मिमी गन और मॉडर्नाइज्ड कवच के साथ तेज हमले में माहिर हैं। इनकी संयुक्त मारक क्षमता और भारत-पाक सीमा के रेगिस्तानी इलाकों में गतिशीलता पाकिस्तानी टैंक रेजिमेंट को पस्त कर सकती है, जिससे पाकिस्तान को इनसे डरने की जरूरत है।
पाकिस्तानी टैंकों को धूल चटाएंगी ये मिसाइलें
नाग और जैवलीन एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलें (ATGM) पाकिस्तानी टैंकों के लिए घातक हैं। स्वदेशी नाग मिसाइल 4 किमी रेंज और टॉप-अटैक मोड के साथ टैंकों के कमजोर हिस्सों को नष्ट करती है, जबकि इसका थर्मल इमेजिंग हर मौसम में सटीकता सुनिश्चित करता है। वहीं, अमेरिकी जैवलीन ATGM, 2.5 किमी रेंज और फायर-एंड-फॉरगेट तकनीक के साथ, टैंकों के ऊपरी हिस्से को भेदता है। इन मिसाइलों की सटीक और विनाशकारी मारक क्षमता पाकिस्तानी टैंकों को देखते ही देखते तबाह कर सकती हैं, जिससे पाकिस्तान को इनसे खौफ खाने की जरूरत है।
