
जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार
केंद्र सरकार द्वारा जातिगत जनगणना कराने की बात कही गई है। इस बीच जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने बयान जारी किया है। दरअसल साल 1994 में नीतीश कुमार ने उस समय संसद में जातीय गणना की मांग की थी। नीरज कुमार ने इस वीडियो को शेयर किया है और तेजस्वी और लालू के दावे को गलत बताया है। उन्होंने कहा, ‘राजद का राजनीतिक फरेब, अगस्त 1994 में लोकसभा में नीतीश कुमार ने अपनी राय स्पष्ट की। इसपर लालू यादव खामोश थे। 1990 से 2005 तक बिहार में जातीय सर्वे आप करा सकते थे, वो आपने नहीं कराया। नीतीश कुमार ने इंडी गठबंधन की बैठक में इस मांग को मुख्य रूप से उठाया तो एक राज्य के मुख्यमंत्री ने इसका विरोध किया, बावजूद इसके लालू यादव खामोश थे।’
जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने तेजस्वी यादव पर साधा निशाना
नीरज कुमार ने कहा, ‘नीतीश कुमार ने एनडीए सरकार के अधीन जो करवाया, तो उसी का परिणाम है कि आज देश में जातीय जनगणना होने जा रही है। बिहार में जातीय सर्वे कराकर बिहार ने नीतीश कुमार ने उदाहरण पेश किया। कर्नाटक के सरकार में बैठे लोग जातीय जनगणना के ऊपर कुंडली मारकर बैठे थे। पीएम नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार आपने आजाद हिंदुस्तान में एक नई लकीर खींच दी। जातिगत जनगणना पर तेजस्वी यादव अपने आप को चुरचुरी पटाखा साबित करना चाहते हैं। सच ये है कि 1989 में आपका जन्म हुआ। आपका उपनाम तरुण यादव के नाम पर फुलवरिया में जमीन लिखवाया गया।’
क्या बोले नीरज कुमार?
नीरज कुमार ने आगे कहा कि साल 1994 में सीएम नीतीश कुमार पिछड़ों की आवाज बन रहे थे। नीतीश कुमार सबके हित को सोच रहे थे और आपके पिता नाबालिग होने के बावजूद आपके लिए जमीन की व्यवस्था कर रहे थे। अंतर साफ है कि अगर बिहार में जातीय सर्वे नहीं होता तो ये पता कैसे चलता कि आपके परिजन के नाम पर 41 बीघा से अधिक जमीन पटना में हैं। अगर पूरे देश में यह जातीय जनगणना होगा तो सारे काले चिट्ठे सबके खुल जाएंगे। सच को स्वीकार करिए।
