
सोमनाथ मंदिर
गिर के सोमनाथ मंदिर के पास अतिक्रमण रोकने के लिए गुजरात सरकार कंपाउंड के चारो तरफ दीवार बना रही है। इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस दीवार की ऊंचाई 5-6 फीट होनी चाहिए। जस्टिस बी आर गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने यह निर्देश दिया है। एक व्यक्ति ने इस दीवार के खिलाफ याचिका लगाई है और कहा है कि यह दीवार इसलिए बनाई जा रही है, ताकि कोई अंदर न घुस सके।
गुजरात का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिकाकर्ता के दावों का विरोध करते हुए कहा कि अधिकारी हमेशा कंपाउंड दीवार बनाकर सरकारी जमीन की रक्षा कर सकते हैं। इस पर जस्टिस गवई ने कहा, “12 फीट की दीवार न बनाएं। अगर आप इसकी रक्षा कर रहे हैं, तो पांच फीट, छह फीट की दीवार ही काफी है।” इस मेहता ने कहा कि याचिका दायर करने वाले व्यक्ति ने 12 फीट की दीवार को लेकर मौखिक दावा किया है।
अदालत में क्या बहस हुई?
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, “हम किला इसलिए नहीं बना रहे हैं कि कोई अंदर न घुस सके। यह अतिक्रमण को रोकने के लिए है।” पीठ ने कहा “आप 12 फीट ऊंची परिसर की दीवार क्यों बनवाना चाहते हैं? इसे पांच या छह फीट ऊंचा बनाइए।” न्यायमूर्ति गवई ने मेहता से कहा कि वे संबंधित कलेक्टर को इस बारे में निर्देश दें। मेहता ने आश्वासन दिया, “मैं निर्देश दूंगा।”
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने कहा कि अधिकारी परिसर की दीवार बनाकर यथास्थिति को बदलने का प्रयास कर रहे हैं। मेहता ने हेगड़े के दावों का खंडन किया और मामले में शीर्ष अदालत में दिए गए अपने पिछले बयान का हवाला दिया। 31 जनवरी को मेहता ने “स्पष्ट बयान” दिया था कि अतिक्रमण वाली जमीन पर हिंदू धार्मिक अनुष्ठानों सहित किसी भी गतिविधि की अनुमति नहीं दी जा रही है। सोमवार को उन्होंने कहा कि स्थिति जस की तस है। उन्होंने कहा, “हम केवल अतिक्रमण को रोकने के लिए परिसर की दीवार बना रहे हैं।”
हेगड़े ने कहा कि अधिकारी 12 फीट ऊंची दीवार बना रहे हैं और याचिकाकर्ता को नहीं पता कि अंदर क्या हो रहा है। पीठ ने कहा, “आपको क्यों नहीं पता? अब हर जगह ड्रोन उपलब्ध हैं।” इसके बाद हेगड़े ने कहा, “यह ऐसा है जैसे आपने चीन की महान दीवार बना दी है और कह रहे हैं कि हम उसकी रक्षा कर रहे हैं।” मेहता ने जवाब दिया, “यह चीन की महान दीवार नहीं है। हमें सनसनीखेज नहीं बनाना चाहिए।” याचिकाकर्ता ने कहा कि साइट पर यथास्थिति बनाए रखी जानी चाहिए। पीठ ने इसके बाद सुनवाई 20 मई के लिए टाल दी।
शीर्ष अदालत ने हेगड़े से कहा कि अगर अधिकारियों ने कोई अन्य निर्माण किया है, तो वह अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं। 31 जनवरी को, शीर्ष अदालत ने गुजरात के गिर सोमनाथ जिले में ध्वस्त किए गए दरगाह (मुस्लिम तीर्थस्थल) पर 1 फरवरी से 3 फरवरी के बीच “उर्स” उत्सव आयोजित करने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया। पीठ ने मेहता की दलील पर गौर किया कि सरकार की जमीन पर बने मंदिरों समेत सभी अनधिकृत निर्माणों को ध्वस्त कर दिया गया।
28 सितंबर को दायर हुई थी याचिका
गुजरात के अधिकारियों के खिलाफ 28 सितंबर को शीर्ष अदालत की पूर्व अनुमति के बिना जिले में आवासीय और धार्मिक संरचनाओं को ध्वस्त करने के आरोप में अवमानना याचिका दायर की गई थी। गुजरात सरकार ने अपनी विध्वंस कार्रवाई को उचित ठहराते हुए कहा कि यह सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण हटाने के लिए चल रहा अभियान है। पीठ गुजरात उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मुस्लिम धार्मिक संरचनाओं के विध्वंस पर यथास्थिति बनाए रखने से इनकार किया गया था।
पिछले साल 4 अक्टूबर को शीर्ष अदालत ने अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर वे इस तरह की कार्रवाई के खिलाफ उसके आदेश की अवमानना करते पाए गए तो वह उनसे संरचनाओं को बहाल करने के लिए कहेगा, लेकिन उसने विध्वंस पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश देने से इनकार कर दिया।
अदालत ने बुलडोजर एक्शन पर लगाई थी रोक
पिछले साल 17 सितंबर को शीर्ष अदालत ने कुछ राज्यों द्वारा विध्वंस से संबंधित एक अन्य मामले में, बिना उसकी अनुमति के अपराध के आरोपी व्यक्तियों की संपत्तियों सहित, संपत्तियों को ध्वस्त करने पर रोक लगा दी थी और कहा था कि अवैध विध्वंस का एक भी मामला संविधान के “मूल सिद्धांतों” के खिलाफ है। हालांकि, शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि उसका आदेश सार्वजनिक सड़कों, फुटपाथों, रेलवे लाइनों या जल निकायों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर अनधिकृत संरचनाओं पर लागू नहीं होता है।
