
पहलगाम आतंकी हमले के खिलाफ पूरे देश में आक्रोश है।
कोलकाता: पश्चिम बंगाल के 2 नवविवाहित जोड़े 22 अप्रैल 2025 की तारीख को शायद ही कभी भुला पाएंगे। इन दोनों जोड़ों में से एक की जिंदगी तेज भूख ने बचाई तो दूसरे की उनकी आस्था ने। पहलगाम की बैसरन घाटी में हुए आतंकवादी हमले में 25 भारतीय पर्यटकों और एक नेपाली नागरिक की जान चली गई थी, लेकिन देबराज घोष और सुदीप्त दास अपनी-अपनी पत्नियों के संग चमत्कारिक रूप से बच निकले। बता दें कि आतंकवादियों ने लोगों ने उनका धर्म पूछकर उनकी जान ली थी जिसके बाद पूरे देश में शोक और आक्रोश की लहर पैदा हो गई है।
भूख ने बचाई देवराज और उनकी पत्नी की जान
देबराज घोष और उनकी पत्नी, जिनकी कुछ महीने पहले ही शादी हुई थी, बैसरन घाटी की सैर के लिए पूरी तरह तैयार थे। खच्चर बुक हो चुके थे, और यह कपल अपने सफर को लेकर जोश में था। लेकिन दोपहर के वक्त देबराज को अचानक भूख लगी, जिसने उनकी नियति बदल दी। वे भीड़-भाड़ वाले बाजार में खाना खाने के लिए रुके ही थे कि अचानक गोलीबारी की तेज आवाज गूंज उठी। देबराज ने तुरंत अपनी पत्नी के साथ होटल में जा छिपे, जहां से वे अभी-अभी निकले थे। देबराज का मानना है कि ‘लंच ब्रेक’ ही उनकी जान का रक्षक बना।
शिव मंदिर में दर्शन ने दी जिंदगी
नादिया जिले के सुदीप्त दास और उनकी पत्नी की कहानी भी चमत्कार से कम नहीं है। यह जोड़ा भी बैसरन घाटी जाने की योजना बना रहा था, लेकिन सुदीप्त की पत्नी को अचानक पास के शिव मंदिर में दर्शन करने की प्रबल इच्छा हुई। दंपति ने अपनी योजना बदलकर मंदिर जाने का फैसला किया। दर्शन करने के बाद उनकी गाड़ी के ड्राइवर ने उन्हें बताया कि बैसरन घाटी में, जो मंदिर से बमुश्किल एक किलोमीटर दूर थी, गोलीबारी शुरू हो गई है। सुदीप्त ने कहा कि अगर हम शिव मंदिर नहीं जाते तो शायद जिंदा नहीं होते, यह भगवान शिव की कृपा है। इस आतंकी हमले में पश्चिम बंगाल के 3 पर्यटक मारे गए हैं। (भाषा)
