सांकेतिक तस्वीर
कोलकाताः पश्चिम बंगाल में प्राथमिक शिक्षक भर्ती में नौकरी चाहने वालों के नाम की सिफारिश राज्य के विपक्षी नेता शुभेंदु अधिकारी के भाई और पूर्व सांसद दिव्येंदु अधिकारी, भाजपा नेता और पूर्व पुलिस अधिकारी भारती घोष ने पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को की थी। सूत्रों के मुताबिक, शिक्षक भर्ती भ्रष्टाचार मामले की जांच में सीबीआई को नामों की ऐसी लिस्ट मिली है। लिस्ट में तृणमूल विधायक शौकत मोल्ला और पूर्व तृणमूल सांसद ममताबाला ठाकुर का नाम भी शामिल हैं। सीबीआई का मानना है कि उनमें से प्रत्येक ने नौकरी चाहने वालों के नामों की सिफारिश की। हालांकि, उनमें से किसी को भी सीबीआई ने पूछताछ नहीं किया है।
सीबीआई कर रही है भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच
संयोग से, केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई 2014 की प्राथमिक परीक्षा में भ्रष्टाचार के आरोपों के आधार पर 2022 से जांच कर रही है। जिस वर्ष परीक्षाएं इतनी विवादास्पद थीं, उस दौरान न तो दिब्येंदु और न ही भारती भाजपा में थे। बाद में वे बीजेपी में शामिल हो गये। भारती घोष ने बीजेपी के टिकट पर लोकसभा और विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बने थे।
नौकरी के लिए सिफारिश की लिस्ट
सीबीआई कर चुकी है छापेमारी
पिछले साल जून में सीबीआई ने विकास भवन (स्कूल शिक्षा दफ्तर में से एक दफ्तर) के गोदाम पर छापा मारा था। वहां तलाशी लेने पर दस्तावेज बरामद हुआ। सीबीआई सूत्रों के अनुसार, शुभेंदु अधिकारी का भाई दिव्येंदु अधिकारी और भारती घोष जिन कैंडिडेट का नामों की सिफारिश ने की थी, दस्तावेज़ में सूचीबद्ध हैं। यह सूची राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को भेजी गयी थी. पार्थ चटर्जी फिलहाल इसी शिक्षक घोटाले में जेल में है।
नौकरी के लिए सिफारिश की लिस्ट
सिफारिश किए गए 324 में से 134 को मिली नौकरी
जानकारी के अनुसर, टोटल 324 कैंडिडेट के नाम की सिफारिश की गई थी। इनमें से 134 कैंडिडेट को नौकरी भी मिली। ये सभी प्राथमिक शिक्षक पद पर तैनात हैं। इसका खुलासा होने के बाद से राज्य की राजनीति गरमानी तय मानी जा रही है।
शुभेंदु अधिकारी ने दी इस पर सफाई
शुभेंदु अधिकारी ने भाई का नाम सामने आने पर सफाई दी है। उन्होंने कहा कि जिन लोगों की सिफारिश पर अवैध नियुक्तियां की गईं उनमें भारतीय जनता पार्टी का कोई भी व्यक्ति शामिल नहीं था। आप जिनका नाम बता रहे हैं, वे उस समय राज्य के सत्ताधारी दल के सांसद या विधायक हो सकते हैं। उस संदर्भ में उन्होंने लिखा कि वे उस समय भाजपा पार्टी से जुड़े नहीं थे। अगर कोई अवैध नियुक्ति हुई थी तो उनसे पूछताछ होनी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
दो साल पहले लोअर कोर्ट में भी ये दिया गया था। ये पार्थ चटर्जी (पूर्व शिक्षा मंत्री) से माणिक भट्टाचार्य (प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष) को लिखे गए रेकमेंडेशन लेटर की सिर्फ एक कॉपी हैं। अब बीजेपी के जिन दो-चार लोगों के नाम सामने आए हैं उनमें यहां के पूर्व सांसद (शुभेंदु अधिकारी के भाई दिब्येंदु अधिकारी) भी शामिल हैं और उनकी सिफारिश पर एक को भी नौकरी नहीं मिली और न ही सीबीआई ने उन्हें पूछताछ के लिए बुलाने की जरूरत महसूस की।
रिपोर्ट- ओंकार सरकार
