महाकुंभ में उमड़ा जनसैलाब
Kumbh Mela 2025: महाकुंभ का अगला प्रमुख स्नान माघ पूर्णिमा (12 फरवरी) को है। इस मौके पर कल संगम में पुष्पवर्षा की जाएगी। माघ पूर्णिमा स्नान पर्व के विशेष मौके पर स्नान करने वाले श्रद्धालुओं पर हेलिकॉप्टर से फूल बरसेंगे। ये पुष्प वर्षा सुबह 8 बजे संगम क्षेत्र में होगी।
ट्रैफिक को लेकर सामने आया अपडेट
सरकार की तरफ से ट्रैफिक को लेकर भी अपडेट सामने आया है। फिलहाल सभी रूट ठीक चल रहे हैं। पिछले कुछ घंटों में ट्रैफिक दर वही है, यह बढ़ी नहीं है। शहर के अंदर के जंक्शन भी अच्छा काम कर रहे हैं।
महाकुंभ में श्रद्धालुओं की भारी भीड़
बता दें कि माघ पूर्णिमा पर संगम में आस्था की डुबकी लगाने के लिए श्रद्धालु देश के कोने-कोने से प्रयागराज पहुंच रहे हैं। पिछले तीन दिनों में महाकुंभ में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ में इस कदर इजाफा हुआ है कि पूरी ट्रैफिक व्यवस्था चरमरा गई थी। प्रयागराज जाने वाले रास्तों पर गाड़ियों की लंबी-लंबी कतारें लगी थीं और संगम तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को कई-कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ रहा था। सड़क से लेकर रेलवे स्टेशन तक, हर जगह आस्था का सैलाब नजर आ रहा है। महाकुंभ में डुबकी लगाने के बाद श्रद्धालु काशी और अयोध्या भी पहुंच रहे हैं। ऐसे में वहां भी जबरदस्त भीड़ नजर आ रही है।
मुख्य स्नान तिथियां
माघ पूर्णिमा 2025
बसंत पंचमी के बाद अब महाकुंभ का अगला प्रमुख स्नान माघ पूर्णिमा के दिन संपन्न होगा। माघ पूर्णिमा के दिन स्नान-दान का खास महत्व होता है। ऐसे में महाकुंभ और माघ पूर्णिमा के शुभ संयोग में स्नान करने से कई गुना अधिक शुभ फलों की प्राप्ति होती है। माघ पूर्णिमा 12 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी। इसी दिन प्रयागराज में महाकुंभ का मुख्य स्नान किया जाएगा।
महाशिवरात्रि 2025
महाकुंभ का आखिरी प्रमुख स्नान 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन किया जाएगा। इसी दिन महाकुंभ मेले का समापन भी होगा। महाशिवरात्रि के दिन त्रिवेणी में स्नान करने से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही महादेव भोले शंकर की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
कब से हुई थी महाकुंभ 2025 की शुरुआत?
महाकुंभ का आरंभ 13 जनवरी 2025 से शुरू हुआ था। इस दिन पौष पूर्णिमा थी। वहीं महाकुंभ का पहला अमृत स्नान मकर संक्रांति के दिन 14 जनवरी को संपन्न हुआ था। उसके बाद दूसरा अमृत स्नान 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के अवसर पर किया गया था। महाकुंभ का तीसरा और आखिरी अमृत स्नान बसंत पंचमी के दिन हुआ था।
