प्रतीकात्मक तस्वीर
पुणे: तंत्रिका संबंधी विकार गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) से पीड़ित पुणे के 37 वर्षीय युवक की शहर के एक अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। स्वास्थ्य अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी। इसके साथ ही, पुणे में जीबीएस से जुड़ी मौतों की संख्या बढ़ कर सात हो गई है, जिनमें संदिग्ध और पुष्टि हो चुके मामले, दोनों शामिल हैं।
21 मरीज वेंटिलेटर पर
इस बीच, संक्रमण के आठ और मामले सामने आने के बाद जीबीएस के संदिग्ध मामलों की संख्या बढ़कर 192 हो गई। पुष्ट मामलों की संख्या 167 है, जबकि 21 मरीज वेंटिलेटर पर हैं।
पुणे के स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया, ‘‘मृतक पुणे में वाहन चालक के तौर पर काम करता था। पैरों में कमजोरी की शिकायत के बाद उसे शुरूआत में शहर के एक अस्पताल में लाया गया था।’’ उसके रिश्तेदारों ने उसे पुणे के अस्पताल में भर्ती नहीं कराया और इसके बजाय उसे एक फरवरी को कर्नाटक के निपानी ले गए। उन्होंने बताया कि इसके बाद उसके रिश्तेदारों ने उसे सांगली स्थित एक अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उसे जीबीएस के इलाज के लिए आईवीआईजी इंजेक्शन दिए गए।
9 फरवरी को आया हार्ट अटैक, हुई मौत
अधिकारियों के अनुसार, ‘‘पांच फरवरी को मरीज के रिश्तेदार सांगली के अस्पताल से उसे ले गए और उसी दिन, पुणे नगर निगम द्वारा संचालित कमला नेहरू अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया। 9 फरवरी को उसे दिल का दौरा पड़ा और उसकी मौत हो गई।
GBS क्या है?
जीबीएस एक दुर्लभ विकार है, जिसमें शरीर के हिस्से अचानक सुन्न पड़ जाते हैं और मांसपेशियों में कमजोरी आ जाती है। इसके साथ ही इस बीमारी में हाथ-पैरों में गंभीर कमजोरी जैसे लक्षण भी होते हैं। माना जाता है कि दूषित भोजन और पानी में पाया जाने वाला ‘बैक्टीरिया कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी’ इस प्रकोप का कारण है। (भाषा इनपुट्स के साथ)
